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इस सबके बीच एक सवाल उठता है - क्या वास्तव में मुगल शासक क्रूर थे? क्या हमें पूरी तस्वीर दिखाई जा रही है या फिर इतिहास के साथ खिलवाड़ हो रहा है?NCERT में क्या-क्या बदलाव हुए हैं?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत NCERT ने अपनी किताबों में व्यापक बदलाव किए हैं। सबसे चर्चित बदलाव ये रहे:
कक्षा 7वीं में:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत NCERT ने अपनी किताबों में व्यापक बदलाव किए हैं। सबसे चर्चित बदलाव ये रहे:
कक्षा 7वीं में:
- मुगलों और दिल्ली सल्तनत के सभी संदर्भ पूरी तरह हटा दिए गए
- इसकी जगह "पवित्र भूगोल", महाकुंभ, और भारतीय राजवंशों पर अध्याय जोड़े गए
- बाबर को "क्रूर और निर्दयी विजेता" बताया गया जो "पूरी आबादी का कत्लेआम करता था"
- अकबर को "सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण" कहा गया
- औरंगजेब को "मंदिर और गुरुद्वारे नष्ट करने वाला" बताया गया
- "द मुगल कोर्ट" और "किंग्स एंड क्रॉनिकल्स" जैसे पूरे अध्याय हटा दिए गए
मुगल शासकों की क्रूरता के ऐतिहासिक प्रमाण
बाबर और उसकी नीतियां
- मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के बारे में ऐतिहासिक रिकॉर्ड मिले-जुले हैं। एक तरफ वह एक विद्वान और कवि था जिसने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' लिखी, वहीं दूसरी तरफ उसमें तैमूर और चंगेज खान का खून भी था।
- ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, बाबर अपने पूर्वजों की तरह क्रूरता में भी माहिर था। वह मानव मल्लयुद्ध का आयोजन करता था और हारने वाले को मारने में भी नहीं हिचकता था। अपने पूर्वज तैमूर की तरह वह भी कटे हुए सिरों के ढेर बनवाता था।
अकबर को अक्सर धर्मनिरपेक्ष शासक के रूप में पेश किया जाता है, लेकिन उसकी नीतियां भी जटिल थीं। शुरुआती दौर में वह काफी कट्टर था। चित्तौड़ विजय के समय उसने इसे "इस्लाम की काफिरों पर जीत" घोषित किया था।
हां, यह भी सच है कि बाद में अकबर ने "सुलह-ए-कुल" की नीति अपनाई। उसने:
- 1563 में तीर्थयात्रा कर समाप्त किया
- 1564 में जजिया कर हटाया
- हिंदू राजकुमारियों से विवाह किया और उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव नहीं डाला
- इबादतखाना बनवाया जहाँ सभी धर्मों के विद्वान आकर चर्चा करते थे
औरंगजेब सबसे विवादास्पद मुगल शासक माना जाता है। उसके बारे में कई आरोप हैं:
मंदिर विनाश:
- उसने अपने शासनकाल की पहली साल में ही उड़ीसा के सभी मंदिर तोड़ने का आदेश दिया
- 12वें साल में उसने साम्राज्य के सभी प्रसिद्ध मंदिरों को नष्ट करने का फरमान जारी किया
- केवल मेवाड़ में ही उसने 240 मंदिर तुड़वाए
- काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई
- जजिया कर फिर से लगाया
- हिंदुओं पर तमाम प्रतिबंध लगाए
मुगलों के सकारात्मक योगदान
कला और स्थापत्य में अमूल्य देन
मुगल शासकों का भारतीय कला और संस्कृति में अतुलनीय योगदान रहा है:
स्थापत्य कला:
मुगल प्रशासन अपने समय की उन्नत व्यवस्था थी:
इतिहासकारों के मत
संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता
प्रोफेसर बहुगुणा का कहना है कि मुगल शासकों की नीतियां अत्यंत जटिल थीं। "कभी वे सहिष्णु दिखते थे, कभी असहिष्णु। उनकी मुख्य चिंता सिंहासन की सुरक्षा थी।"
वे आगे कहते हैं, "मुगलों का भारत को दार-उल-इस्लाम बनाने में कोई रुचि नहीं थी। वे सिर्फ अपने साम्राज्य की सुरक्षा चाहते थे।"
मुगल शासकों का भारतीय कला और संस्कृति में अतुलनीय योगदान रहा है:
स्थापत्य कला:
- ताजमहल - शाहजहाँ की अमर कृति
- लाल किला - मुगल शक्ति का प्रतीक
- जामा मस्जिद - भव्य वास्तुकला का नमूना
- फतेहपुर सीकरी - अकबर की महत्वाकांक्षा
- मुगल मिनिएचर पेंटिंग का विकास
- अकबरनामा और बाबरनामा के चित्र
- फारसी और भारतीय शैली का अनूठा मेल
- उर्दू भाषा का विकास - यह हिंदी, फारसी और अरबी का मिश्रण है
- फारसी साहित्य को बढ़ावा
- स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कार्य
मुगल प्रशासन अपने समय की उन्नत व्यवस्था थी:
- केंद्रीकृत लेकिन कुशल प्रशासन
- मनसबदारी प्रणाली
- न्यायव्यवस्था में तेज फैसले
- धर्मनिरपेक्ष नियुक्तियां - योग्यता के आधार पर पद
संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता
प्रोफेसर बहुगुणा का कहना है कि मुगल शासकों की नीतियां अत्यंत जटिल थीं। "कभी वे सहिष्णु दिखते थे, कभी असहिष्णु। उनकी मुख्य चिंता सिंहासन की सुरक्षा थी।"
वे आगे कहते हैं, "मुगलों का भारत को दार-उल-इस्लाम बनाने में कोई रुचि नहीं थी। वे सिर्फ अपने साम्राज्य की सुरक्षा चाहते थे।"
आधुनिक शोध के निष्कर्ष
स्टैनफोर्ड की ऑड्रे ट्रुश्के का शोध बताता है कि मुगल काल वास्तव में "जबरदस्त अंतर-सांस्कृतिक सम्मान और उर्वरता" का समय था। उनका कहना है: "मुगल अभिजात्य वर्ग ने संस्कृत विद्वानों को अपने दरबार में लाने, संस्कृत-आधारित प्रथाओं को अपनाने, दर्जनों संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद कराने में अपार ऊर्जा लगाई।"
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शिक्षा बनाम राजनीति का मुद्दा
NCERT का पक्ष
NCERT के निदेशक प्रो. दिनेश सकलानी का कहना है कि यह सब "शैक्षणिक प्रक्रिया" के तहत हुआ है। उनके अनुसार:
- कोविड के बाद छात्रों पर बोझ कम करना जरूरी था
- केवल मुगल इतिहास ही नहीं, सभी विषयों में कंटेंट कम किया गया
- जो चीजें छात्र पहले पढ़ चुके हैं, उन्हें दोहराने की जरूरत नहीं
विपक्षी दलों और कई शिक्षाविदों का आरोप है कि यह "सांप्रदायिक आधार पर इतिहास लेखन" है। उनकी मुख्य चिंताएं:
- 300 साल का मुगल इतिहास एकदम से गायब करना उचित नहीं
- छात्रों की सोच एकतरफा दिशा में जाने का खतरा
- धार्मिक सद्भावना पर नकारात्मक प्रभाव
- राजस्थान, केरल, पश्चिम बंगाल ने इन बदलावों का विरोध किया है
- उत्तर प्रदेश ने समर्थन किया है
- कई राज्यों ने कहा है कि पहले गहन समीक्षा करेंगे
न कालाकरण, न सफेदी
इतिहास के साथ न्याय करने के लिए जरूरी है कि हम:
इतिहास के साथ न्याय करने के लिए जरूरी है कि हम:
- तथ्यपरक दृष्टिकोण अपनाएं - न तो मुगलों को पूरी तरह राक्षस बनाएं, न ही उन्हें देवता
- संदर्भ को समझें - उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखें
- सभी पहलुओं को दिखाएं - क्रूरता के साथ-साथ सांस्कृतिक योगदान भी बताएं
- तुलनात्मक अध्ययन करें - अन्य शासकों से तुलना करके देखें कि क्या सामान्य था
समकालीन चुनौतियां
- आज के समय में इतिहास शिक्षण की मुख्य चुनौतियां:
- राजनीतिक दबाव से मुक्त रहना
- सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखना
- तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश न करना
- छात्रों में आलोचनात्मक सोच विकसित करना
आगे का रास्ता
शिक्षाविदों की सलाह
इतिहासकार सुझाते हैं कि:
- विविध दृष्टिकोण शामिल करें - केवल एक नजरिया न दें
- प्राथमिक स्रोतों का इस्तेमाल करें - मूल दस्तावेजों से तथ्य लें
- संदर्भ स्पष्ट करें - घटनाओं की पूरी पृष्ठभूमि दें
- तुलनात्मक अध्ययन को बढ़ावा दें - अन्य काल और शासकों से तुलना करें
युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे:
- एक ही स्रोत पर निर्भर न रहें
- विभिन्न इतिहासकारों की किताबें पढ़ें
- तथ्यों को समझने की कोशिश करें, न कि केवल रटने की
- खुद से सवाल पूछें और जवाब तलाशें
निष्कर्ष
NCERT के मुगल इतिहास विवाद का कोई आसान हल नहीं है। यह सच है कि कई मुगल शासकों ने क्रूरता दिखाई, मंदिर तोड़े, और धार्मिक उत्पीड़न किया। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि उन्होंने भारतीय कला, संस्कृति, भाषा और स्थापत्य को अमूल्य देन दी।समस्या तब होती है जब हम सिर्फ एक पक्ष दिखाते हैं। न तो मुगलों को पूरी तरह महान बताना सही है, न ही उन्हें सिर्फ क्रूर राक्षस के रूप में चित्रित करना। इतिहास जटिल होता है, और हमें इसकी जटिलता को स्वीकार करना चाहिए।शिक्षा का मकसद है बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता विकसित करना, न कि उन्हें किसी खास दिशा में धकेलना। हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था चाहिए जो तथ्यों पर आधारित हो, संतुलित हो, और धार्मिक सद्भावना को बढ़ावा दे।
आखिर में, इतिहास से सीख लेकर हमें एक बेहतर भविष्य बनाना है, जहाँ सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान हो। यही हमारे मुगल इतिहास की सबसे बड़ी सीख है।
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